mera vala blog
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काश खुदा ने हुस्न वालों अहसास ए दर्द दिया होता .
हो सकता था जालिम ने अपने से दूर न किया होता
हुस्न की अदाएं दिखाकर
मासूम दिल को अपने जाल में फंसाकर
नज़रों के फिर तीर चलाकर
दिल से दिल लगाकर फिर झट से दूर न किया होता
काश खुदा ने हुस्न वालों अहसास ए दर्द दिया होता
बाँहों की फिर पिंग झुलाकर
नए नए वो ख्वाब दिखाकर
सपनों की फिर सेज सजाकर
मीठी मीठी नींद में सुलाकर अचानक से फिर न जगा जगा दिया
काश खुदा ने हुस्न वालों अहसास ए दर्द दिया होता .
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