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हुजुर इस कदर भी दिल पे ना

mera vala blog
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सरे आम न यूँ हमको दीवाना, अपना बना के चलिए .
हुजुर इस कदर भी दिल पे ना सितम ढाके चलिए !

इन मदमस्त आँखों से तुम्हारी,कोई हो इशारा ना जाये .
बेमौत कोई तुम्हारे पीछे यु ही मारा ना जाये..
सीने से दुपट्टा ना सरका के चलिए !
हुजुर इस कदर भी दिल पे ना सितम ढाके चलिए !

मीठी मीठी बातें तो सहेलियों से हो रही हैं .
पर ना जाने क्यू नजरें कहीं और खो रही हैं..
यूँ सहेलियों को भी न पागल बनके चलिए !
हुजुर इस कदर भी दिल पे ना सितम ढाके चलिए !

तेरी आँखों का काजल सागर की गहराई ले बैठा .
क्या होग अगर कोई मासूम दिल तुमको दे बैठा ..
सरे बाज़ार ना यु आँखों का तुनका के चलिए !
हुजुर इस कदर भी दिल पे ना सितम ढाके चलिए !

मस्तानी इस चाल पे तम्हारी आशिक मोर हो गए .
चुपके २ निहारे हम सरे आम देखने के भी चोर हो गए ..
सीने ऊपर रखके कदम इस तरह न इठला के चलिए !
हुजुर इस कदर भी दिल पे ना सितम ढाके चलिए !

“नामदेव ” भी तुम्हारे हाथों क़त्ल होने का इरादा रखता है .
ये दिल तुम को ही अपना बनाने का इरादा रखता है ..
इस तरह से इस मासूम दिल को ना यूँ बहला के चलिए !

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