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दीवानों पे क्या बीती है ये तो दीवाना ही जानेगा
खाई होगी चोट जिसने सीने पर दर्द को वही तो पहचानेगा !
नशा इश्क का क्या होता है
ये दुनिया वाले क्या जानेंगे
जिसने किया है इश्क किसी से
आशिक का हाल वही तो पहचानेंगे
पैसे वालो का रुआब भला क्या राह इश्क की जानेगा !
महबूब की घनी गहरी जुल्फों की
गहरी छाँव में जो नशा है
महबूब की आँखों में संसार और
महबूब के क़दमों तले स्वर्ग बसा है
हिंसा का पुजारी ..नफ़रत का व्यापारी ,प्यार फैलाना क्या जानेगा !
चोट इस नाजुक जिगर अपने पे
अपनों के हाथों खाता चला गया मैं
देकर दिलासे दिल अपने को
जखम अपने सहलाता चला गया मैं
क्या बीती है दिल पे मेरे जख्मो का देने वाला क्या जानेगा !
कुछ लोग यहाँ पर ऐसे
लाशो पे राजनीती कर रहे है
खाकर माल हराम का
घर अपना ही सिर्फ भर रहे है
जनता के जो बने नुमाईन्दा उस जनता के दर्द क्या जानेगा !
”’ नामदेव ”’ पिरोकर प्यार की माला
सबको पहनाता चला गया मैं
दे कर हंसी सब के चेहरे पर
खुद गम में डुबोता चला गया मैं
दर्द मिटाने में जो सुकून है जखम ओरों के कुरेदने वाला क्या जानेगा !
लेखक ;…..सोमबीर ””नामदेव ””
गाँव ;….डाया जिला ;..हिसार ( हरियाना )
मोब …. न. 9321083377
sombirnaamdev@yahoo.com
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