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सोचता हूँ प्यार का इजहार करता

mera vala blog
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सोचता हूँ प्यार का इजहार करता
मेरे हिस्से नही प्यार क्या करता

आने का दिलासा दिया नही उन्होने
आने का उनके इंतेजार क्या करता

बंजर सी हो चुकी है ज़िंदगी मेरी
अब जो आई है बहार क्या करता

लूटा है अपनों ने ही मुझे तो बस
वरना वक़्त मुझपे मार क्या करता

सर अपना ही कमजोर था यारो
वरना ये जमाना वार क्या करता

दूर दूर तक नही गुलशन ज़िंदगी में
वरना तपती रेत का सहार क्या करता

फुर्सत ही नही मिली उम्र भर प्यार से
”’ नामदेव ”’किसी से तकरार क्या करता

‪#‎सोमबीरनामदेव‬

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